बाजीराव:
बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बबाद (1720-40) उनके पुत्र बाजीराव – 1 पेशवा बने । वे सम्भवतः सभी पेशवाओं में सबसे योग्य पेशवा साबित हुए । उन्होंने मुगल सम्राज्य की गिरती व्यवस्था को ना केवल पहचाना बल्कि मुग़ल सम्राज्य के ध्वंसाशेषो पर अपने सम्राज्य का विस्तार किया । भारत की गिरती राजनीती स्थिति का लाभ उठाकर उन्होंने गुजरात मालवा व बुंदेलखंड तक विजय की । मालवा को लेकर इनका कई बार संघर्ष निजात से भी हुआ । परन्तु उन्होंने निजाम को कई बार पराजित किया ।
बालाजी बाजीराव : (1740-61)
बाजीराव -1 की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र बालाजी बाजीराव अगले पेशवा बने । उन्होंने मराठा सम्राज्य का विस्तार काफी बड़े क्षेत्रो तक क्र दिया । इन्होने सम्राज्य विस्तार के लिए विभिन मराठा सरदारों को अलग अलग क्षेत्रो में कार्यवाही करने का आदेश दिया । जिससे विभिन क्षेत्रो में कार्यवाही करने का आदेश दिया जिससे विभिन क्षेत्रो में इन मराठा सरदारों ने सम्राज्य विस्तार क्र एक विशाल मराठा सम्राज्य की स्थापना की ।
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ग्वालियर के सिंधिया
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इनडोर के होल्कर
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नागपुर के भोंसले
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गुजरात के गायकवाड़
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पूना में पेशवा
इन सभी को मिलाकर एक मराठा परिसंघ का निर्माण हुआ प्रमुख पूना के पेशवा थे । मराठों की महत्वाकाक्षा एवं उत्तर अभियान के कारण इनका अहमदशाह अब्दाली के साथ संघर्ष हो गया । दिल्ली की सत्ता को लेकर अहमद शाह अब्दाली एवं मराठो के मध्य ”पानीपथ का तीसरा युद्ध ” 1761 में हुआ । इस युद्ध में मराठो का नेतृत्व पेशवा के भतीजे स्पाशिवराव आउ कर रहे थे । इस युद्ध में मराठों की बुरी तरह से हार हो गई ।
हजारों मराठा सेनापति एवं लाखो सैनिक इस युद्ध में हताहत हुए । इस प्रकार पानीपत का युद्ध भारत का सबसे निर्णायक युद्ध साबित हुआ जिसने यह सिद्ध क्र दिया की अब मराठे भारत में शासन नहीं करेंगे । इस युद्ध की खबर सुनकर पेशवा की हिरदयाघात के कारण मृत्यु हो गई ।
असफलता के कारण :
- अपनी युद्ध शैली के विपरीत युद्ध मराठों द्वारा लड़ा गया ।
- इनकी लूटपाट के कारण सभी अन्य राज्य मराठों के विरुद्ध हो गए ।
- खाद्य सामग्री की कमी पड़ी । इन्होने आसपास के खेत भी नष्ट क्र दिए ।
- अहमद शाह अब्दाली की टोपसेना की अत्यदिक शक्ति
राजपूत :
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मारवाड़ में आवश्यक हस्तक्षेप के कारण — के नेतृत्व में राजपूतो ने विद्रोह क्र दिया । इनके साथ फिर मेवाड़ भी शामिल हो गए। इस प्रकार मुग़ल सत्ता के पतन के बाद राजपुताना के सबसे प्रमुख शासक आमेर के राजा जयसिंह-2 थे । जो एक बहुयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे । अकबर के समय से ही मुगलो की अधीनता स्वीकार करते थे । मुग़ल सम्राज्य के पतन के बाद सभी रियासते हो गई । इन रियासतों में अजमेर के जय सिंह 2, 18वीं शताब्दी के राजपुताना के शासकों में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे । वह एक बेहतरीन खगोल शास्त्री , गणितज्ञ , विज्ञानं प्रेमी , वास्तुकार एवं महामसमाज सुधारक थे ।
इन्होने रेखागणित और नेयोयर के त्रिकोण मैत्री के अवधानों को संस्कृत भाषा में अनुवाद करवाया । समय की सही – सही मैं गणना के लिए भारत में 5 जगहों पर क्रमशः
जयपुर , दिल्ली , मथुरा , उज्जैन एवं बनारसी में 5 वेद शालाओं का निर्माण करवाया । समय की सही गणना के लिए उन्होंने जिज मोहमद शाही नामक टेबल का भी आविष्कार किया ।
वह बेहतरीन वास्तुकार थे जो की जय
पुर की स्थापना कहलाता हैं । यह एक महान समाज सुधारक भी थे । इन्होने अपने राज्य में बाल विवाह , देहज प्रथा , स्ति प्रथा जैसे पर प्रतिबंध लगा दिया था ।