विद्रोही राज्य


मराठा साम्राज्य:





बहादुरशाह प्रथम गद्दी प्राप्त करने के बाद साहू को किले से आजाद कर दिया गया । जिससे मराठा उतराधिकार के लिए शहु एवं ताराबाई में गद्दी के लिए संघर्ष हो गया । इस संघर्ष में अंततः शहु की विजय हुई । एवं वह छत्रपति के रूप में स्थापित हुआ।





शहु को छत्रपति बनने का श्रेय एक प्रमुख मराठा सरदार बालाजी विश्वनाथ को जाता है। जिन्होंने मराठा सरदारो को एकत्रित कर शहु को छत्रपति बनाने में मदद की थी। वास्तव में इस समय के बाद से छत्रपति के स्थान पर पेशवा का पद भी अत्याधिक लोकप्रिय होने लगा।





जिस पर बालाजी विश्व नाथ आसीन हुए। बालाजी विश्व नाथ शिवा जी की तरह ही एक विशाल हिन्दू सम्राज्य का सपना देखते थे । इन्हें दिल्ली की राजनीति में हस्तक्षेप करने का मौका तब मिला जब हुसैन अली ने इनके साथ दिल्ली समझौता किया ।





दिल्ली समझौता में इन्हें हुसैन द्वारा दक्कन में कई रियासते दी बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी हस्तक्षेप करने का मौका दिया । इसलिए इतिहासकारो ने इस संधि को ‘मराठो’ का मैग्नावकरा कहा। इसलिए बालाजी विश्वनाथ को ‘मराठा’ साम्राज्य का दूसरा संस्थापक कहते हैं।






Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *