निजामुलमुल्क ने मुगलो के 21 प्रांतो में से 6 प्रांतो को अलग कर दकन में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की जिसकी राजधानी हैदराबाद बनाई गई । इसके पश्चात अवध एवं बंगाल जैसे स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हुई । इन राज्यों को ” उत्तराधिकार राज्य ” कहते हैं ।
स्वायत राज्य
- उत्तराधिकार राज्य :- दकन , बंगाल , अवध
- विद्रोही राज्य :- राजपूत , मराठा , सिख , जाट
- अछूत राज्य :- मैसूर (विजयनगर), वडियार राजवंश का शासक
- अछूत राज्य : मुगलो ने कभी भी इन राज्यों पर शासन करने की कोशिश नहीं की । मराठो ने अपनी सत्ता साउथ से north तक लेकर आए।
उत्तराधिकारी राज्य :
दकन : मुहम्मद शाह के दुश्चक्रो एवं अयोग्यता से तंग आकर 1724 में निजामुलमुल्क ने दकन को एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया तथा उसकी राजधानी हैदराबाद बनाई । निजाम ने अपने सम्राज्य में विभिन प्रकार के प्रशासनिक एवं आर्थिक सुधर किये जिससे ढक्क्न का राजनैतिक महत्व काफी बढ़ गया । भले ही इसे मराठो से संघर्ष करना पड़ा परन्तु इसने अपने जीते जी ढक्क्न के महत्व को कम नहीं होने दिया । जिस प्रकार ढक्क्न मुग़ल सम्राज्य से अलग हो गया था उसी प्रकार कालांतर में कर्नाटक भी ढक्क्न से अलग होकर एक स्वतंत्र राज्य बन गया ।
बंगाल : बंगाल की राजधानी मुर्शिदाबाद हैं। बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा को समिलित रूप से बंगाल कहते थे । बंगाल को मुगल से स्वतंत्र करने का श्रेय इसके मुगल सूबेदार मुक्षित कुली खां को जाता है। इसने भी बंगाल के जमींदार पर नियंत्रण करके पर्याप्त कर वसूलने में सफल हो गया था।
कालांतर में इसके उतराधिकारियों में अंग्रेजों को नियंत्रण रूप से व्यापार करने को मजबूत किया।
अवध: अवध के स्वतंत्र राज्य बनाने का श्रेय ईरानी सरदार सआदत खां / सआदतखां ने ना केवल सम्राज्य का विस्तार किया । बल्कि इसने भी जमीदारों पर कठोर नियंत्रण स्थापित कर अवध को आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
सआदत खां का उत्तराधिकारी शुजाउदोल बना जिसके समय मे बक्सर का युद्ध हुआ । इस युद्ध मे इसने अन्य भारतीय शक्तियों का अंग्रेज़ो के विरूद्ध किया एवं पराजित होकर इलाहाबाद की संधि करने को बाध्य हुआ।
अगला उत्तराधकारी आसफुदौला हुआ जिसने फैजाबाद से राजधानी लखनऊ स्थानांतरित किया। आगे चलकर लखनऊ कला सभ्यता एवं संस्कृति का केन्द्र बना।
आगे : विद्रोही राज्य