हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा “वर्ष 2019 में दुनिया भर में आत्महत्या” (Suicide worldwide in 2019 ) नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। निराशा अथवा अवसाद के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति द्वारा मरने के इरादे से स्व-निर्देशित हानिकारक व्यवहार के कारण होने वाली मृत्यु को आत्महत्या कहा जाता है। प्रमुख बिंदु अधूरा लक्ष्य: संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) में वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर को एक तिहाई कम करना एक लक्ष्य है। लेकिन दुनिया इस लक्ष्य से अभी भी कोसों दूर है। SDG रोकथाम और उपचार के माध्यम से देशों से गैर-संचारी रोगों के कारण समय से पहले होने वाली मृत्यु दर को एक-तिहाई तक कम करने और मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया। देशों से मादक द्रव्यों के सेवन और शराब के हानिकारक उपयोग सहित मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम और उपचार को मज़बूती प्रदान करने हेतु भी प्रयास का आह्वान करते हैं। साथ ही वे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का भी आह्वान करते हैं, जो कि मानसिक स्वास्थ्य का हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कुछ देशों ने आत्महत्या की रोकथाम को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है, फिर भी कई देश इसके प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं। वर्तमान में केवल 38 देशों में ही राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति लागू है। वर्ष 2019 में आत्महत्या की घटनाएँ: कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है। हालाँकि वर्ष 2019 में पहले से ही आत्महत्याओं की संख्या अत्यधिक देखी गई। वर्ष 2019 में लगभग 7,03,000 लोगों या 100 में से एक व्यक्ति की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। वर्ष 2019 के लिये वैश्विक आयु-मानकीकृत आत्महत्या दर 9.0 प्रति 1,00,000 जनसंख्या थी। इनमें से कई युवा थे। आधे से अधिक वैश्विक आत्महत्याएँ (58%) 50 वर्ष की आयु से पहले हुईं। वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर 15-29 आयु वर्ग के युवाओं में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण आत्महत्या थी। वर्ष 2019 में लगभग 77% वैश्विक आत्महत्याएँ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं। क्षेत्रीय डेटा: अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया में आत्महत्या की दर वैश्विक औसत से अधिक दर्ज की गई। यह संख्या अफ्रीकी क्षेत्र (11.2) में सबसे अधिक थी, इसके बाद यूरोप (10.5) और दक्षिण-पूर्व एशिया (10.2) का स्थान था पिछले 20 वर्षों (2000-2019) में वैश्विक आत्महत्या दर में 36% की कमी आई थी। यह कमी पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में 17% से लेकर यूरोपीय क्षेत्र में 48% और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 49% तक थी। इसी अवधि के दौरान अमेरिकी क्षेत्र में आत्महत्या की दर में 17% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई और यह एक अपवाद रहा है। भारत में आत्महत्या: दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में भारत में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में वर्ष 2018 में आत्महत्या के कुल 1,34,516 मामले दर्ज किये गए। जबकि वर्ष 2017 में आत्महत्या की दर 9.9 थी, यह वर्ष 2018 में बढ़कर 10.2 हो गई। आत्महत्याओं को कम करने के लिये डब्ल्यूएचओ दिशा-निर्देश: WHO ने वर्ष 2030 तक वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर को एक तिहाई तक कम करने में देशों की मदद करने के लिये नए LIVE LIFE दिशा-निर्देश प्रकाशित किये थे। ये हैं: अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों और आग्नेयास्त्रों जैसे आत्महत्या के साधनों तक पहुँच सीमित करना। आत्महत्या की ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग पर मीडिया को शिक्षित करना। किशोरों में सामाजिक-भावनात्मक जीवन कौशल को बढ़ावा देना। आत्मघाती विचारों और व्यवहार से प्रभावित किसी व्यक्ति की प्रारंभिक पहचान, मूल्यांकन, प्रबंधन और अनुवर्ती कार्रवाई। इन्हें स्थिति विश्लेषण, बहु-क्षेत्रीय सहयोग, जागरूकता बढ़ाने हेतु क्षमता निर्माण, वित्तपोषण, निगरानी और मूल्यांकन जैसे मूलभूत स्तंभों के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है। भारत में आत्महत्या के प्रयास को लेकर कानूनी स्थिति: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, “किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा।” जबकि संविधान में जीवन या स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है, इसमें ‘मृत्यु का अधिकार’ शामिल नहीं है। किसी के जीवन लेने के प्रयासों को जीवन के संवैधानिक अधिकार के दायरे में नहीं माना जाता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 309 में कहा गया है कि जो कोई भी आत्महत्या करने का प्रयास करता है और इस तरह के अपराध को अंजाम देने के लिये कार्य करता है, उसे साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि आत्महत्या के लिये उकसाने हेतु दंड का प्रावधान IPC की धारा 306 के तहत किया गया है और एक बच्चे को आत्महत्या के लिये उकसाने है दंड का प्रावधान IPC की धारा 305 के अंतर्गत किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 115 (1) के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 309 में सम्मिलित किसी भी प्रावधान के बावजूद कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करने का प्रयास करेगा, उसके संबंध में तब तक, यह माना जाएगा कि वह गंभीर तनाव में जब तक कि यह अन्यथा साबित न हो, और साथ ही उसके विरुद्ध मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही उसे दंडित किया जाएगा। हालाँकि यह कानून केवल मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों पर लागू होता है। आत्महत्या के प्रयास के मामले में गंभीर तनाव का अनुमान है। संबंधित भारतीय पहलें: मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 किरण: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की है। मनोदर्पण पहल: यह आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य कोविड -19 के समय में छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को उनके मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिये मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना है।

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