1781 का अधिनियम
रेगुलेटिंग एक्ट ऑफ़ 1773 की खामियों को ठीक करने के लिए ब्रिटिश संसद ने अमेंडिंग एक्ट ऑफ़ 1781 पारित किया , जिसे बंदोबस्त कानून (Act ऑफ़ सेटलमेंट) के नाम से भी जाना जाता हैं । इस कानून की निम्नलिखत विशेषताएं थीं :
- इस कानून ने गवर्नर जनरल तथा काउंसिल को सर्वोच्च न्यालय के क्षेत्राधिकार से बरी अथवा मुक्त कर दिया – उनके ऐसे कृत्यों के लिए जो उन्होंने पदधारण के अधिकार से किए थे । उसी प्रकार कम्पनी के सेवको को भी कार्य करने के दौरान की गई कार्यवाहियों के लिए सर्वोच्च न्ययालय के क्षेत्राधिकार से मुक्त कर दिया गया।
- इस कानून में राजस्व सम्भंधी मामलों, तथा राजस्व वसूली से जुड़े मामलों को भी सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के बहार कर दिया गया ।
- इस कानून द्वारा कलकत्ता के सभी निवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कर दिया गया । इसमें यह भी व्यवस्था बनाई गई की न्यायालय हिन्दुओं के निजी कानून के हिसाब से हिन्दुओं तथा मुसलमानों के वाद या मामले तय करें ।
- इस कानून द्वारा यह व्यवस्था भी की गई की प्रांतीय न्यायालयों की अपील गवर्नर जनरल – इन – काउन्सिल के यहाँ दायर हों , न की सर्वोच्च न्यायालय में ।
- इस कानून में गवर्नर – जनरल – इन काउन्सिल को प्रांतीय न्यायालयों एवं कौंसिलों के लिए नियम – विनियम बनाने के लिए अधिकृत किया ।
1786 का अधिनियम
1786 में लार्ड कॉर्नवॉलिस को बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया । उसने यह स्वीकार करने के लिए दो शर्तें या मांगें राखी :
- उसे विशेष मामलों में अपनी काउंसिल के निर्णयों को अधिभावी करने अथवा न मानने का अधिकार हो ।
- उसे सेनापति अथवा कमांडर – इन चीफ का पद भी दिया जाये ।
उपरोक्त शर्तों को 1786 के कानून में प्रावधानों के रूप में जोड़ा गया ।